10 जून 2011
लंदन। एक साधारण से मूत्र परीक्षण से आंत, पेट और अग्नाशय के कैंसर का जल्द पता लगाया जा सकता है। वर्तमान में कैंसर का पता लगाने के लिए जिन तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है उनकी तुलना में मूत्र परीक्षण से इसका बहुत जल्दी पता चल जाता है।
शोधकर्ताओं ने कैंसर के कुछ मरीजों के मूत्र में कुछ प्रमुख प्रोटीनों की मौजूदगी देखी। कैंसर के अन्य लक्षण दिखने से पहले ही इन प्रोटीनों की पहचान कर इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है।
पेट और आंत के कैंसर के मरीजों में से 10 प्रतिशत ही इस बीमारी की पहचान के बाद पांच साल तक जीवित रह पाते हैं। ऐसा इसलिए है कि इस कैंसर की पहचान तब हो पाती है जब यह बहुत बढ़ चुका होता है।
बायोप्सी के जरिए ही इस बात की पुष्टि हो पाती है कि आपको कैंसर है अथवा नहीं। इस प्रक्रिया में चिकित्सक मरीज के शरीर के कैंसरग्रस्त हिस्से से ऊत्तक का एक छोटा सा टुकड़ा निकालकर प्रयोगशाला में उसका अध्ययन करते हैं।
ईडनबर्ग विश्वविद्यालय के होल्जर हसी कहते हैं, "इस कार्य का मकसद इस प्रकार के कैंसर की जल्द से जल्द पहचान करना है। इससे हमें कैंसर के फैलने से पहले ही उसका इलाज शुरू करने में मदद मिलेगी।"
होल्जर के इस शोध में कैंसर पीड़ित मरीजों और स्वस्थ प्रतिभागियों के मूत्र परीक्षणों की तुलना की गई थी। इन परीक्षणों में प्रोटीनों की पहचान की गई थी।
'प्रोटीयोमिक्स-क्लिनिकल एप्लिकेशंस' पत्रिका के मुताबिक शोधकर्ताओं ने छह ऐसे प्रोटीनों की पहचान की जो कैंसर के 98 प्रतिशत मरीजों के मूत्र परीक्षण में मिले जबकि स्वस्थ प्रतिभागियों में से 90 प्रतिशत में ये अनुपस्थित थे।
शोध के परिणाम बताते हैं कि कैंसर के मरीजों के मूत्र परीक्षण में दो प्रोटीन एस100ए6 और एस1009 मुख्य रूप से देखे गए।
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